जिंदगी को आइसक्रीम नहीं, मोमबत्ती की तरह बनाएं जो पिघलकर भी दूसरों को रोशनी देती है : गौर गोपाल दास

इंटरनेशनल लाइफ कोच बोले- इंसान हर घर में पैदा होता है, इंसानियत हर जगह जन्म नहीं लेती

भूल करना प्रकृति, मान लेना संस्कृति और सुधार करना प्रगति है

उदयपुर. भास्कर उत्सव के तहत बुधवार शाम रानी रोड स्थित इंद्रलोक गार्डन में मोटिवेशनल टॉक शो की शुरुआत करते गौर गोपाल दास, इंदिरा आईवीएफ के चेयरमैन अजय मुर्डिया, डायरेक्टर नितिज मुर्डिया, क्षितिज मुर्डिया, आईजी बिनीता ठाकुर और कलेक्टर आनंदी।

स्पिरिच्युअल और मोटिवेशनल गुरु ने कहा, ईंट-पत्थर के बड़े-बड़े मकानों, बड़ी-लग्जरी कारों में खुशी नहीं देते। खुशियां तो वे लोग देते हैं, जो अापसे रिश्तों में बंधे हैं। इसलिए अपनों में परफेक्शन न ढूंढें। परिपूर्ण तो ईश्वर के अलावा कोई भी नहीं हैं। हम सब गलतियां करते हैं। रिश्तों में अफेक्शन (प्यार और लगाव) ढूंढें। एक-दूसरे की गलतियां इग्नोर (अनदेखा) करना सीखें। हम सब गलतियां करते हैं। भूल करना प्रकृति है, उसे मान लेना संस्कृति और गलती को सुधार लेना प्रगति है। ये रिश्तों को सहेजे रखने की बुनियाद है। हर इंसान में परफेक्शन ढूंढने वाले रिश्तों से दूर हो जाता है। ऐसे लोगों के पास दौलत कितनी भी हो, आंसू पोंछने वाले हाथ न हों तो वह सबसे बड़ा गरीब है। गौर गोपाल दास ने कहा, दूसरों से नकारात्मक तुलना भी व्यर्थ है। ये सोचें कि जितना आपके पास है, उतना तो कई लोगों के पास नहीं है। आपके पास उतना ही है, जितनी आपकी क्षमता है। इसलिए जो है और जितना है, उसके प्रति कृतज्ञ बने रहें। अपने साथियों को उनकी कमी के साथ स्वीकार करें।

कार्यक्रमों की समृद्ध शृंखला

9 जनवरी

10 जनवरी

10 जनवरी

11 जनवरी
12 जनवरी